जिन्दगी गुजर जायेगी
आहिस्ता - आहिस्ता
फिर ये वक्त
गुजर जायेगा आहिस्ता
आहिस्ता।
तुम मुझे याद
रखोगे कुछ देर
,
फिर ये याद
भी मिट जायेगी
आहिस्ता आहिस्ता।
मोम की तरह
पिघलती है जिन्दगी
।
गमों की आग
में जलती है
जिन्दगी ।।
जिन्दगी में ठोंकरे
लगें तो गम
मत करना ए-
दोस्त ,
ठोंकरें खाकर ही
तो संवरती है
जिन्दगी।।
मर मर के
मुसाफिर ने बसाया
है तुझे।
रुख सबसे चुराकर
मुँह दिखाया है
तुझे।।
क्यों न लिपटकर
सोओं तुझसे ए
- कब्र,
जिन्दगी देकर मैने
पाया है तूझे
।
आपकी मुस्कान हमारी कमजोरी
है
कह ना पाना
हमारी मजबूरी है
आप क्यों नहीं समझते
इस ख़ामोशी को
क्या ख़ामोशी को जुबान
देना जुरुरी है।
मै कोई चिराग़
नहीं जो जल
जाउगां
ना हि तेरा
वादा हूं जो
बदल जाउगा।
सोज भर दो
मेरे सीने मे
गमे उल्फत की
मै कोई मोम
नही जो पिघल
जाउगा।।
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