Monday, December 19, 2016

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न जाने ये नजरें क्यों उदास रहती है ।
न जाने इन्हे किसकी तलाश  रहती है।।
ये जान कर कि वो किस्मत में नहीं फिर भी,
उसे पाने की एक आस रहती है।।



चमन को चमन के चिरागों ने लूटा।
शाहिल  को कस्ती के किनारों ने लूटा।।
आप तो एक ही कसम में डर गयें,
हमें  तो आप की कसम देकर हजारोें ने लूटा।।

हुस्न वाले खूब वफ़ाओं का सिला देते है।
हर मोड़ पर एक ज़ख्म नया देते है ।।
ऐ ! दोस्त इस जहॅा मे कोई अपना नही,
आग लगती है तब पत्ते भी हवा देते है।।


वो कही भी रहे सर पर उसके इल्जाम तो है।
उसकी हाथों की लक़ीरों पे  मेरा नाम तो है ।।
मुझको वो अपना बनाये या ना बनाये ,
वो जमा़ने मे मेरे नाम से बदनाम तो है ।
मेरे हिस्से मे कोई जाम आये या ना सही ,
उसकी महफिल में मेरे नाम कोई शाम तो है।।
देखकर मुझको लोग नाम तेरा लेते है ; इस पर मै,
खुश  हॅू कि मोहब्बत का कोई अन्जाम तो है।।


बहुत दूर मगर बहुत पास रहती हो।
आखों से दूर सही मगर दिल के पास रहती हो।।
मुझे इतना बता दो क्या तुम भी ,
मेरे बिना उदास रहती हो।।

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