Thursday, June 1, 2017

राजकुमार भोज

उज्जैन मे एक राजा रहता था। उसका नाम सिन्धुल था। उसका एक ही लड़का था। उसका नाम भोज था। भोज बड़ा होनहार और सुशील लड़का था। राजा उसको बहुत प्यार करता था। परन्तु जब भोज पाँच वर्ष का था , तभी उसके पिता स्वर्ग सिधार गये। भोज अभी बहुत छोटा था। राज – काज नहीं चला सकता था ; इसलिये उसका चाचा मुंज राज – काज देखने लगा।  

     राज्य का लोभ सबको होता है। राज्य करते – करते मुंज को भी राज्य के लोभ ने सताया। वह सोचने लगा -- भोज बड़ा अक़्लमंद है। बड़ा होनहार है | बड़ा होकर अपना राज्य छीन लेगा। तब मुझे उसके अधीन होकर रहना पड़ेगा।
       यह नहीं हो सकता। मैं उसका नौकर बनकर नहीं रह सकता | इसलिये उसको किसी न किसी उपाय से मार कर खुद राजा बन जाना चाहिये।
         लोभी आदमी बड़े से बड़ा पाप भी कर सकता है। उसके दिल में दया नहीं होती। औरंगजेब ने राज्य के लोभ मे पड़कर अपने तीन भाइयों को मार डाला। अपने बाप को भी कैद में दल दिया। मुंज भी अपने भतीजे भोज को मरने का उपाय सोचने लगा।
    एक दिन उसने अपने मंत्री को बुलाकर कहा मंत्री जी , देखिये , यह लड़का बड़ा दुष्ट है। आप किसी तरह इसका काम करवा दीजिये , नहीं तो यह मुझे बहुत दु:ख देगा।
     मंत्री मुंज के मन की बात समझ गया। उसने हाथ जोड़कर राजा से कहा – महाराज , आप बड़े हैं।  भोज अभी नादान बच्चा है। उस पर आप का गुस्सा करना ठीक नहीं। उसको मरने से आपको बड़ा पाप लगेगा। आप ऐसी बात मन में न लाइये।
     मंत्री की बात सुनकर राजा खफा हो गया। वह आंखे लाल करके बोला --- यह मेरा हुक्म है, तुम्हें मानना होगा। मानती ने राजा को समझाने की बहुत कोशिश की , लेकिन राजा ने हठ नहीं छोड़ा। तब राजा की आज्ञा पालने के लिये वह लाचार हुआ।  
     दूसरे दिन मंत्री भोज को रथ पर बिठाकर जंगल में ले गया। लेकिन मंत्री बड़ा रहम दिल था।  भोज को मारने को उसका हाथ न उठा। उसने मुंज की ईश्र्या का हाल भोज ने कहा। भोज ने कहा – मैं मरने से नहीं डरता। आप मुझे मार डालिये। अच्छी बात है , मेरे चाचाजी राज करेंगे। इसमे दु;ख करने की कोई बात नहीं है। लेकिन मैं एक चिट्ठी देता हूँ। आप उसे मेरे चाचा को दे दीजियेगा। यह कहकर भोज ने एक चिट्ठी लिखकर मंत्री के हाथ में दे दी।  
  भोज की हिम्मत देखकर मंत्री दंग रह गया। उसने कहा ---राजकुमार , मैं आपको मार नही सकता।  मैंने आपके पिता का नमक खाया है। मैं यह पाप नहीं कर सकता। आप मेरे घर चलिये और आराम से वहाँ रहिये।  
   मंत्री ने राजकुमार को अपने घर लाकर छिपा दिया।
    दूसरे दिन मंत्री मुंज के यहाँ हाजिर हुआ। मुंज ने पूछा ---कहो मेरा हुक्म बजा लाये ,मंत्री ने जबाब दिया ---हाँ , हुजूर। लेकिन भोज ने मरते वक़्त आपके नाम से एक खत दिया है। मुंज ने लिफाफा खोलकर पढ़ा। उसमे लिखा था ----
      ‘’चाचाजी, इस पृथ्वी पर बहुत से बड़े राजा हुए। उनमें से कोई इसको अपने साथ नहीं ले गया। मालूम होता है , आप इसको अपने साथ ले जायंगे।
 पत्र पढकर मुंज की आंखे खुल गयी। अब तो वह अपनी करनी पर पछताने लगा। हाय मैंने ऐसे बुद्धिमान भतीजे को मरवा डाला। मैं कैसा पापी हूँ ----धीरे –धीरे उसका पछतावा यहाँ तक बढ़ा कि वह अपने प्राण देने पीआर तैयार हो गया। मंत्री ने देखा कि राजा सचमुच बहुत सदमा पहुंचा है। तब उसने हाथ जोड़कर कहा – ‘ महाराज मेरा कसूर माफ कीजिये। भीज मरा नहीं है। वह जीता है। मैंने उसे अपने घर में छिपा रखा था। फिर उसने मुंज के सामने भोज को लाकर खड़ा कर दिया।  
     भोज को देखकर मुंज को बेहद खुशी हुई। उसने सिर नीचे करके भोज से माफी मांगी। मंत्री को भी भोज के प्राण बचाने के लिये उसने बहुत धन्यवाद दिया। अब राज्य से उसका मन उदास हो गया। उसने भोज को गध्दी पर बिठाया। फिर सब से बिदा लेकर अपनी स्त्री के साथ जंगल में तप करने चला गया।

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