शीशा चुभता है जख्म
रह जाता है।
दिल टूटता है अरमान
रह जाता है।।
लगा देता है
वक्त सब पर
मरहम ,
पर फिर भी
एक निशान रह
जाता है।।
यूं ही
जिन्दगी से मॅुह
छिपाये बैठे है।
मत पूछो कि
क्या गवाये बैठे
है।।
काटों की बात
कौन करता है
हम तो ,
फूलो से जख्म
खाये बैठे है।।
आखे खुली हो
तो चेहरा तुम्हारा
हो
अॅाखे बन्द हो
तो सपना तुम्हारा
हो
मर भी जॅाए
तो कोई गम
नही
अगर कफन की
जगह दुपट्टा तुम्हारा
हो
वो मिले
हमको कहानी बनकर।
दिल में बस
गयें प्यार की निशानी बनकर।।
जिसे जगह देते
है हम ऑखो
के अन्दर,
वो अक्सर निकल जाते
है पानी बनकर।।
हमने खुदा
से दुआ मागी
है
दुआ में मौत
मॉगी है
खुदा कहने लगा
कि उन दुआओं
का क्या करु
जिन्होंने तेरी जिन्दगी
मॉगी है।
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